भगवत नाम सर्वोपरी
भगवत नाम सर्वोपरी
रचनाकार : प्रमोद कुमार सिन्हा
भगवत नाम सर्वोपरि
अध्यात्म डेस्क/भारत ।
जैसे तैसे भी ह्रदय भर लो हरि नाम से
आनंद ही आनंद ह्रदय होत प्रभु नाम से
जैसे तैसे भी..... ..
एक नूर से उपजा है जगत सारा पसारा
रिश्ते नाते संगी साथी का करता सहारा
काम आबे कोई ना है अंतिम मुकाम से
जैसे तैसे भी........
मान मर्यादा धन दौलत यहीं रह जाना
पुत्र को श्मशान तक ही साथ निभाना
भजन बिना बचोगे कैसे नरक धाम से
जैसे तैसे भी..........
स्वांसों का मोल बन्दे कैसे तू चुकाएगा
यम दरबार में कोड़ों की मार खायेगा
चालाकी ना चलेगा दंड भाव शाम से
जैसे तैसे भी........
नर तन किराया तुमको चुकाना पड़ेगा
आगे है चौरासी चक्कर समाना पड़ेगा
प्रमोद इंतजारी ना होगा सुबहोशाम से
जैसे तैसे भी......
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