50 वर्षो बाद अक्षय तृतीया पर बन रहे है यह दुर्लभ संयोग..:पंकज झा शास्त्री ✍🏻

 50 वर्षो बाद अक्षय तृतीया पर बन रहे है यह दुर्लभ संयोग..:पंकज झा शास्त्री ✍🏻


जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


अक्षय तृतीया को अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है ।

अध्यात्म डेस्क/भारत ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 02 मई, 2022)।  अक्षय तृतीया को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और मंगलकारी तिथि माना गया है। अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है यानी इस तिथि पर कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। अक्षय तृतीया का त्योहार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

इस बार यह त्योहार 03 मई  मंगलवार मनाई जा रही है। अक्षय तृतीया को अखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। तृतीया तिथि की अधिष्ठात्री मां गौरी को माना जाता है। अक्षय का अर्थ होता है 'जिसका कभी भी क्षय न हो यानी कभी नाश न हो' धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया शुभ कार्य, दान-पुण्य, स्नान,पूजा और तप करने से अक्षय फल की प्राप्ति होता है।

अक्षय तृतीया पर सोने के आभूषण खरीदने के खास परंपरा होती है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन अगर व्यक्ति सोना खरीदे उससे के जीवन में सदैव माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही व्यक्ति का जीवन सुख और वैभव के साथ बीतता है। पंडित पंकज झा शास्त्री बताते है कि जिनके पास सोना खरीदने का सामर्थ न हो वो सिंदूर और पीला गोटा हल्दी खरीद सकते है।

इस दिन खरीदे गए सिंदूर से घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

और इस दिन खरीदे गए हल्दी का तिलक भगवान विष्णु को लगाएं इसके बाद स्वयं लगाए उपरान्त कनकधारा स्तोत्र और विष्णु सहस्त्र नाम पाठ करने से घर से दरिद्रता और गरीबी दूर होने की संभावना बढ़ती है। इस दिन लोहा, काला वस्तु, प्लास्टिक घर में न लाये। अन्य और भी कोई सामाग्री खरीद सकते है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परूषराम का जन्म हुआ , यह भी माना जाता है कि इस दिन से ही सतयुग और त्रेता युग की शुरुआत हुई।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया को विशेष अबूझ मुहूर्त कहा गया है। इस विशेष दिन पर शुभ कार्य करने, शुभ खरीदारी करने और दान करने की विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किया गया शुभ कार्य हमेशा सफल होता है। इस बार अक्षय तृतीया का त्योहार रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग में मनाया जाएगा। इसके अलावा मंगलवार और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से मंगल रोहिणी योग का निर्माण होने जा रहा है। वहीं इस अक्षय तृतीया पर दो प्रमुख ग्रह स्वराशि और दो ग्रह अपनी उच्च राशि में मौजूद रहेंगे। इस तरह का संयोग 50 वर्षों के बाद बनने जा रहा है।


03 मई को अक्षय तृतीया के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि यानी वृषभ में मौजूद होंगे और सुख और वैभव प्रदाता ग्रह शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होंगे। इसके अलावा शनि देव अपनी स्वराशि कुंभ में और सदैव शुभ फल देने वाले देवगुरु बृहस्पति स्वराशि मीन में विराजमान रहेंगे। सहर के जाने माने पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार इन चार बड़े ग्रहों का अक्षय तृतीया के दिन अपने अनुकूल स्थिति में होने से अक्षय तृतीया का महत्व काफी बढ़ गया है। इस तरह का शुभ और मंगलकारी संयोग बनने से अक्षय तृतीया पर शुभ खरीदारी करने और माता लक्ष्मी संग भगवान विष्णु की उपासना करने से विशेष फल की प्राप्ति हो सकती हैं।
अक्षय तृतीया में पूजन और समाग्री खरीददारी मुहूर्त -मंगलवार, प्रातः 05:29 से दि 03:23 तक, इसके संध्या 06:47 से रा 07:43तक।
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उपरोक्त विचार ज्योतिष पंकज झा शास्त्री द्वारा प्रेस कार्यालय को सम्प्रेषित किया गया।
9576281913
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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