संत निरंकारी मिशन समस्तीपुर द्वारा की गई समर्पण दिवस समागम का आयोजन

 संत निरंकारी मिशन समस्तीपुर द्वारा की गई समर्पण दिवस समागम का आयोजन


जनक्राति कार्यालय रिपोर्ट



परमार्थ से युक्त होकर जीवन जीने से इस एक शास्वत परमात्मा की जानकारी कर इसके एहसास में अपने जीवन के सारे कार्यों को करना है ताकि हमसे कोई गलती नहीं हो , तभी तो हमारा जीना मुबारक है , हमें हर कदम फूक फूक कर रखना है अथार्त हमें अपना एक - एक कदम मर्यादा में आगे बढ़ाना है : संत यमुना प्रसाद

समस्तीपुर,बिहार ( जनक्राति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 13 मई 2022 )।  मानव जीवन में एक एक पल, एक एक सांस कीमती है , जो पल , जो साँस गुजर जाता है , वो वापस नहीं आता है , तो इसकी संभाल जरूरी है। इसकी महत्ता को समझना जरूरी है कि परमात्मा ने हमें यह जीवन यह काया क्यों दिया हैं.. ? इसकी संभाल इसकी कदर केवल दुनियादारी से युक्त होकर जी लेने से नहीं होती है ।

इसकी संभाल होती है । परमार्थ से युक्त होकर जीवन जीने से इस एक शास्वत परमात्मा की जानकारी कर इसके एहसास में अपने जीवन के सारे कार्यों को करना है ताकि हमसे कोई गलती नहीं हो , तभी तो हमारा जीना मुबारक है , हमें हर कदम फूक फूक कर रखना है अथार्त हमें अपना एक - एक कदम मर्यादा में आगे बढ़ाना है,

https://youtu.be/7_FkyepkD3A

हमारा कार्य ऐसा हो जो हमारे लिए तो हितकारी हो ही लेकिन दूसरों के कल्याणकारी हो आज दुनिया में वैमनुष्यता कठोरता , कटुता निदर्यता हर ओर दिखाई देती है ।

उससे निजात के लिए ही संतों ने परमार्थ का रास्ता बताया है परोपकार वाला रास्ता बताया है इसी परोपकार को करते हुए कितने ही संतो महात्माओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया , ताकि मानवता जीवित रहे इंसानियत कायम रहे ।

कहते है कि डुवना है तो कही भी छोटी - बड़ी नदीं तालब में डूब सकते हैं , लेकिन पार करने के लिए किनारा का सहारा लेना पड़ता है । इसी प्रकार संसार भी निरर्थक , मिथ्या लोभ , मोह , अहंकार जैसे अंधकार में डूबने को तैयार है , इससे पार उतारा के लिए तो संतों महात्माओं ने हमें परमार्थ , परपोकार , सद्आचरण , विश्वबंधुत्व वो निर्मलता वाला रास्ता दिखाया है , उसी पर चल कर हम इस संसार रूपी भवसागर में डूबने से बच सकते हैं ।

अन्यथा तो हमें कोई नहीं बचा सकता , क्योंकि परमार्थ की रोशनी से युक्त राह पर चलने के लिए तो हमें सन्तो महात्माओं के रास्ते को ही अपने जीवन में पहल देनी होगी , तभी ईर्ष्या , द्वेष , नफरता , वैर , वैमनुष्यता , कठोरता , कटुता , निर्दयता , असहिष्णुता जैसे , अनगिनत विकृतियों से बने भवसागर से हमारा पार उतारा संभव है , वरना तो डूब ही जाना है , किनारा पाने के लिए समय के सद्गुरू की शरणागति से प्राप्त ब्रह्माज्ञान का सहारा लेना ही होगा तभी पार उतारा संभव है ।

उक्त विचार स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन जूटमिल रोड समस्तीपुर में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के छठी पुण्य तिथि पर आयोजित समर्पण दिवस समागम में आदरनीय यमुना प्रसाद जी ने कहा ।

उक्त अवसर पर राजेश पासवान ( संचालनकर्ता ) , जगदीश जी , राम प्रकाश जी , रामकरण शर्मा , मिथलेश जी , सुशील भगत, प्रमोद जी, प्रभाकर जी , बच्चा शर्मा , मोती लाल जी , गंगा बहन , नीलम बहन , किरण बहन, विनोद कुमार महाराज सहित सैकड़ों की संख्या में प्रभु प्रेमी सन्त महात्मा,अनुयायी उपस्थित थे ।

मौके पर विशाल लंगर की भी व्यवस्था की गई थी । उपरोक्त जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से संवाददाताओं को विनोद कुमार महाराज संत निरंकारी मंडल , समस्तीपुर द्वारा दी गई।

 

जनक्राति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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