ग्रीष्म नवरात्र जिसे अषाढ़ी नवरात्र या गुप्त नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है, इस बार आषाढ़ी नवरात्र गुरुवार से हुआ आरम्भ

 ग्रीष्म नवरात्र जिसे अषाढ़ी नवरात्र या गुप्त नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है, इस बार आषाढ़ी नवरात्र गुरुवार से हुआ आरम्भ

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट



अषाढ़ी नवरात्र में अन्य नवरात्र के तुलना में अतिशीघ्र फलदाई माना गया है :पंकज झा शास्त्री

अध्यात्म डेस्क/मधुबनी,बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 जून, 2022 ) । ग्रीष्म नवरात्र जिसे अषाढ़ी नवरात्र या गुप्त नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आषाढ़ी नवरात्र 30 जून 2022 गुरुवार से आरम्भ हो रही है।


आषाढ़ी नवरात्र वर्ष भर के चार नवरात्रों में से द्वितीय क्रम में आता है। अन्य तीन नवरात्र के तरह ही आषाढ़ी नवरात्र भी मनाया जाता है। अषाढ़ी नवरात्र अधिक प्रचलित न होने के कारण इस नवरात्र को बहुत कम ही लोग जान पाते हैं। आषाढ़ी नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों के साथ साथ दश महाविद्या और 64 योगिनी की पूजा अधिक महत्वपूर्ण है। वैसे तो सभी नवरात्र का अपना अलग महत्व है परंतु अषाढ़ी नवरात्र में अन्य नवरात्र के तुलना में अतिशीघ्र फलदाई माना गया है।
इसीलिए तंत्र मंत्र सिद्धि हेतु तंत्र साधको के लिए विशेष महत्व रखता है।


इस बार आषाढ़ी नवरात्र में माता का आगमन डोली पर से है जबकि माता का गमन मुर्गा से है।


वाहन अनुसार ज्योतिषीय संकेत देखे तो माता का डोली से आगमन किसी महामारी या अन्य रोग जैसे दिल की विमारी, रक्त की विमारी, मूत्र रोग, पेट रोग, नेत्र रोग में वृद्धि हो सकती है।


माता का मुर्गे से प्रस्थान करना लोगो में मायूसी, शोक, आकाशीय बिजली, वज्रपात, मानव में उग्रता, क्रोध की अधिकता, वाहन दुर्घटना या अन्य दुर्घटना में वृद्धि से मानव को क्षति पहुंच सकती है।
वैसे हर घटना एक नया बदलाव लाता है अतः माता का पूजा पाठ, आराधना निष्ठा पूर्वक सभी को करना चाहिए।
उपरोक्त विचार जाने माने ज्योतिष पंकज झा शास्त्री 9576281913 द्वारा वाट्सएप माध्यम से प्रेस कार्यालय को दिया गया।

 
जनक्रान्ति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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