गुनाहगार सच

 गुनाहगार सच 



                     रचनाकार : प्रमोद कुमार सिन्हा,बेगूसराय 


गुनाहगार सच 


जगत में मैं रहूँ ना रहूँ ,

       पर ये फ़साना तो रहेगा ही ,

सब कुछ चला जाये यहाँ से ,

       लेकिन ये जमाना तो रहेगा ही ,

रहना तो किसी को नहीं है ,

       पर किये कर्म की गवाही होता है ,

सत्य कभी मरता नहीं है , 

        झूठ की कोताही होता ही है ,

लोग जो कहे अमर नहीं कोई ,

        पर अमर वाणी अभी भी है ,

राजा गये महाराजा संत फ़क़ीर  ,

        उनकी गवाही अभी भी है  ,

लड़ रहे हैँ आज एक दूजे से ,

        हम सही हैँ तो हम सही ,

गलत है कौन यहाँ पर ,

        पता कौन कैसे करे कभी  ,

हम हम का ही बोल यहाँ पर ,

        हम हम का ही है ललकार  ,

ताने दिये ही फिरते हैँ सभी  ,

       मिलता है निष्कासन - फटकार ,

समझ समझ कर समझ रहे हैँ ,

       गलत गलत गलत नहीं कोई ,

ऊँगुली पर ढूंढ़न जो चलन है  ,

       सत्य सत्य जो है वही गलत होई ,

काशी मथुरा पे मत जाओ यारों ,

       नूरे ईलाही हर दिल में मिलेगा ,

झाँकना है घट भीतर उस रब को ,

       कांकर पत्थर नहीं प्रेम में मिलेगा

कहता खड़ा है तो कोई पड़ा है,

      अड़ा खड़ा में झगड़ा है क्यों ?

प्रेम तो ना अड़ा है ना ही पड़ा है ,

       हँसी आती अड़ा पड़ा रगड़ा क्यों

सभी तो हैँ होश में यहाँ पर ,

       एक ठहरा मैं ही हूँ बेहोश   ,

सच बोलना भी गुनाह यहाँ पर ,

       मौन रहकर बिल्कुल हो खामोश !

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जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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