राष्ट्रभक्ति का भाव सर्वोत्तम भाव लेकिन उसका प्रदर्शन भी जरूरी है - अजीत सिन्हा

 राष्ट्रभक्ति का भाव सर्वोत्तम भाव लेकिन उसका प्रदर्शन भी जरूरी है - अजीत सिन्हा


जनक्रांति कार्यालय से संवाद सूत्र की रिपोर्ट


जहां आज राष्ट्र में जाति - धर्म की भावना बलवती है वहां राष्ट्र प्रेम भाव ही पूरे जाति - धर्मों के लोंगो को एक साथ जोड़ सकती है और यह अनेकता में एकता की मिसाल के रूप में लोंगो के बीच एक उदहारण हो सकती है। इसके देश की झंडा लोंगो के दिलों में ठीक उसी तरह से स्थान रखती है जिस तरह से राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत

बोकारो,झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 04 अगस्त,2022)। नेताजी सुभाष सेना के कमांडर - इन - चीफ अजीत सिन्हा ने केंद्रीय सरकार द्वारा घोषित हर घर तिरंगा अभियान का समर्थन करते हुए कहा कि देशभक्तों के लिए उनकी आजादी की प्रतीक उनके देश का झंडा उनके जीवन में महत्वपूर्ण मायने रखती है और यह राष्ट्र की संप्रभुता, एकता और अखण्डता की प्रतीक होती है और इसकी प्रदर्शन उनकी भाव को दर्शाती है कि उन्हें अपने देश से प्रेम है हालाँकि जीवन में संपादित होने वाली प्रत्येक कार्य में भाव और कर्तव्य का स्थान होता है लेकिन किसी भी कर्तव्य में भाव समाहित हो तो वह कार्य अच्छे से संपादित होती है।


जहां आज राष्ट्र में जाति - धर्म की भावना बलवती है वहां राष्ट्र प्रेम भाव ही पूरे जाति - धर्मों के लोंगो को एक साथ जोड़ सकती है और यह अनेकता में एकता की मिसाल के रूप में लोंगो के बीच एक उदहारण हो सकती है। इसके देश की झंडा लोंगो के दिलों में ठीक उसी तरह से स्थान रखती है जिस तरह से राष्ट्रगान या राष्ट्रगीत।


किसी भी देश के नागरिकों के लिए राष्ट्र ही प्रथम होनी चाहिये और राष्ट्र की प्रतिष्ठा से संबंधित प्रतीक, चिन्ह, धरोहरों की मान उनके हृदय में होनी चाहिये क्योंकि उनके लिए उनके देश की मिट्टी की खुशबु और उसकी पवित्रता बहुत ही मायने रखती क्योंकि ऐसा कहा गया है कि जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपिगरियसी अर्थात् जिस भूमि पर जन्म होता है वह स्वर्ग से कम नहीं है और इस भाव को क्षेत्रीयता की भावना की जगह राष्ट्र प्रेम से जोड़कर देखना ही उचित होगा और धर्म अर्थात् धारण योग्य बातों में यदि राष्ट्र प्रेम भाव उत्पन्न नहीं होती है तो वह धर्म हो ही नहीं सकती है और इस में रहने वाले लोगों की यही खूबसूरती देखने को मिलती है कि देशद्रोहियों को छोड़कर राष्ट्र के मुद्दे पर सभी नागरिक एक हो जाते हैं और स्वतंत्रता या आजादी की महोत्सव मानना स्वतंत्र अभिव्यक्ति की ही प्रतीक है और इसमें अपने देश का झंडा फहराना और राष्ट्र गीत गाकर अपने भाव को प्रकट करते हुए राष्ट्र के लोंगो के बीच एकता स्थापित करना सत्कर्मों के रूप में ही मानी जाएगी।
अतः मैं केंद्रीय सरकार द्वारा घोषित तिरंगा फहराने के अभियान का समर्थन करता हूं और इस अभियान पर किसी भी तरह की राजनीति एक ओछी राजनीति ही समझी जाएगी।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा संवाद सूत्र की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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