अंग्रेज भारत छोड़ के तो चले गए लेकिन उनके द्वारा थोपे के अनेक काले कानून अभी भी भारतीय संविधान में समाहित हैं , काले कानून भारत छोड़ो : अजीत सिन्हा

 अंग्रेज भारत छोड़ के तो चले गए लेकिन उनके द्वारा थोपे के अनेक काले कानून अभी भी भारतीय संविधान में समाहित हैं , काले कानून भारत छोड़ो :  अजीत सिन्हा


जनक्रांति कार्यालय से संवाद सूत्र की रिपोर्ट


सत्तासीन सरकार से अनुरोध है कि इस विषय संज्ञान लेते हुए पुलिस जूडिशल रिफॉर्म समेत अन्य कानूनों पर विचार स्वरुप संशोधन हेतु कदम उठायें जिससे भारतीय कानून और भी सुदृढ़ हो : राष्ट्रीय अमन महासंघ

बोकारो/झारखण्ड (जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 अगस्त,2022) । राष्ट्रीय अमन महासंघ के सर महासंघ दिग्दर्शक और नेताजी सुभाष सेना के कमांडर - इन - चीफ अजीत सिन्हा ने आज देशवासियों को 08 अगस्त की उस नारा को याद दिलाते हुए कहा जिसमें देशवासियों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे को बुलंद किया था।

हालांकि अंग्रेज भारत छोड़ के तो चले गए लेकिन उनके द्वारा थोपे के अनेक काले कानून अभी भी भारतीय संविधान में समाहित हैं जिसमें संशोधन या समाप्तिकरण की आवश्यकता है क्योंकि आज की परिदृश्य में बहुत से कानून न ही प्रासंगिक हैं और न ही आज की वर्तमान परिस्तिथियों के अनुकूल ही है।

इसलिये महामहिम राष्ट्रपति महोदया से मेरी आग्रह है कि एक कमेटी का गठन कर सभी कानूनों की समीक्षा की जाये और वैसे काले कानूनों में संशोधन, बदलाव की जाये और यदि कोई कानून सही नहीं है तो वह भी समाप्त की जाये।

इस हेतु प्रधानमंत्री जी स्वयं सक्रिय हों तो ज्यादा उत्तम रहेगी और इसकी सूचना मैंने अपने ट्विटर आईडी के माध्यम से माननीयों को भेज दी है जिसमें ये आग्रह की गई है कि कानूनविदों के साथ कानून के छात्रों समेत जनता - जनार्दन से भी राय ली जाये।


आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि इस विषय पर मैंने पहले भी आवाज उठाई है। वहीं कानूनविद अश्वनी उपाध्याय जी भी अनवरत रूप से अपनी बात पी आई एल कोर्ट के समक्ष रखकर या अपनी ट्विटर आईडी के माध्यम से आवाज उठाते रहे हैं जिस पर सरकार ने कुछ सुधि ली है।

लेकिन अभी तक सभी काले कानून पर पूर्ण रूप से कारवाई नहीं हुई है। समझने वाली बात है कि जिन कानूनों की जरूरत नहीं वैसे कानून को रखने की आवश्यकता क्या है..?

और जिस में बदलाव की जरूरत है उसमें 70 सालों तक राज करने वाली कॉंग्रेस ने बदलाव या संशोधन क्यों नहीं किये..? और आज की तारीख में जनता ने सत्ता परिवर्तन कर भाजपा को सत्तासीन की है तो भाजपा की ओर से भी क्यों देरी हो रही है..?


एक बार पुनः सत्तासीन सरकार से अनुरोध है कि इस विषय संज्ञान लेते हुए पुलिस जूडिशल रिफॉर्म समेत अन्य कानूनों पर विचार स्वरुप संशोधन हेतु कदम उठायें जिससे भारतीय कानून और भी सुदृढ़ हो।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा संवाद सूत्र की रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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