गरीबी से लाचार इस मुल्क में अपनी जिंदगी दाव पे लगाके जीने पे मजबूर हो रही चलती ट्रेन के गेट के पास /बैठीसोयी महिलाएं

 गरीबी से लाचार इस मुल्क में अपनी जिंदगी दाव पे लगाके जीने पे मजबूर हो रही चलती ट्रेन के गेट के पास /बैठीसोयी महिलाएं


जनक्रांति कार्यालय से प्रखंड संवाददाता पंकज कुमार की रिपोर्ट


अपनी जान हथेली पर रख ट्रेन के गेट पर बैठकर सोते हुऐ यात्रा करते गरीब परिवार की महिलाएं

बेगूसराय, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 08 अगस्त, 2022)। बिहार में गरीबी से लाचार इस मुल्क में अपनी जिंदगी दाव पे लगाके जीने पे मजबूर है चलती ट्रेन के गेट के पास बैठती सोती गरीब महिलाएं ।


क्या इनके घर में 2 रोटी देने के लिए कमाने वाला कोई नहीं है..?? ना जाने इन महिलाएं को इस तरह सफर करना अपनी जान की वाजी लगाके अपने बच्चों को लालन पालन करना ।


इसका जिम्मेवार आखिर कौन हो सकता है..केन्द्र सरकार या राज्य सरकार ...???
क्या महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा के लिए सरकार जिम्मेवार नहीं हो सकता है। 

इन सवालों पे आवाज़ उठाने वाला आज कोई भी राजनीतिक पार्टी या समाजसेवी नहीं हैंl क्या अभी भी हमारे मुल्क में लोगों की आह सरकार तक नहीं पहुँचती हैं..???

आखिर हमारा आजाद देश भारत का 75 वर्ष बीत जाने के बाद भी भुखमरी और लाचारी से अपने आप को लोग नहीं बचा पा रहे हैं l सौ में निन्यानबे बेईमान बना बैठा है फिर भी हमारा देश महान ही कहलाता हैं l


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रखंड संवाददाता पंकज कुमार की रिपोर्ट प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित।

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