क्या है आखिर इंद्रजाल की वास्तविकता..?पंकज झा शास्त्री
क्या है आखिर इंद्रजाल की वास्तविकता..?पंकज झा शास्त्री
जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट
इंद्रजाल दरअसल यह प्राचीन विद्या है जो भारत से शुरू होकर धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में भी लोकप्रिय हो गई। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे जादू-विद्या कहना गलत नहीं होगा : पंकज झा शास्त्री
दरभंगा/मधुबनी, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 09 सितंबर, 2022 )। इंद्रजाल के बारे में समाज में बहुत सी अलग-अलग धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ लोग इसे मायावी खेल से जोड़ते हैं तो कुछ तंत्र-मंत्र, तो वहीं कुछ का कहना है कि ये कला, जादू वशीकरण आदि से जुड़ा हुआ है। कहने का भाव है कि आज तक कोई ये नहीं समझ पाया कि आख़िर इंद्रजाल है क्या..?
दरअसल यह प्राचीन विद्या है जो भारत से शुरू होकर धीरे-धीरे पश्चिमी देशों में भी लोकप्रिय हो गई। कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे जादू-विद्या कहना गलत नहीं होगा। बताया ये भी जाता है कि देश के बहुत से हिस्सों में प्राचीन समय से लेकर आज तक इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। कहा जाता है इसके अंतर्गत मंत्र, तंत्र, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, नाना प्रकार के कौतुक, प्रकाश एवं रंग आदि के प्रयोजनीय वस्तुओं के आश्चर्यजनक खेल, तामाशे आदि कई चीज़े आती हैं। परंतु समाज में सबसे ज्यादा प्रचलन काले जादू का है।
कुछ लोगों को इसके नाम से लग रहा होगा कि ये हिंदू धर्म में स्वर्ग के देवता कहे जाने वाले इंद्र से जुड़ा हुआ होगा। तो बता दें आपका ये सोचना ठीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इंद्र को छल-कपट या चकम देने वाला माना जाता है। इसलिए इस विद्या का नाम इंद्रजाल पड़ा।
कहा जाता है रावण, मेघनाद व अन्य राक्षस इस विद्या के ज्ञाता थे। वहीं इंद्रजीत इस विद्या का महाज्ञानी थे क्योंकि वह युध्क्षेत्र में भी बादलों में छिपकर प्रहार करते थे।
ग्रंथों में वर्णित इंद्रजाल से जुड़ा श्लोक-
मेघान्धकार वृष्टयग्नि पर्वतादभुत दर्शनम।।
दूरस्थानानां च सैन्यानां दर्शनं
।।
च्छिन्नपाटितभिन्नानां संस्रुतानां प्रदर्शनम।
इतीन्द्रजालं द्विषतां भीत्यर्थमुपकल्पयेत।।
उपरोक्त ज्योतिष शास्त्र विचार पंकज झा शास्त्री द्वारा प्रेस कार्यालय को दिया गया।
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित।
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