नवरात्रि व्रत विशेष : इस बार शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा का आगमन और गमन वाहन गजराज से, क्या है संकेत..?पंकज झा शास्त्री..✍️👈

 नवरात्रि व्रत विशेष : इस बार शारदीय नवरात्र में माँ दुर्गा का आगमन और गमन वाहन गजराज से, क्या है संकेत..?पंकज झा शास्त्री..✍️👈


जनक्रांति कार्यालय से पंकज झा शास्त्री की विचार


इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 तक मनाई जाएगी : पंकज झा शास्त्री

अध्यात्म डेस्क,दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 19 सितंबर, 2022)। इस वर्ष शारदीय नवरात्र आरम्भ होने को अब कुछ ही दिन रह गए है,जिसके लिए शक्ति पीठों,अंकुरित स्थानों के मंदिरों मे  रंगाई पुताई प्रारम्भ है,जहाँ दुर्गा प्रतिमा बनते है वहां मुर्तिकार भी मूर्तियों को अंतिम रूप देने मे लगे है। श्रधालु भक्त भी अपने घरों को साफ सफाई करने मे जुट गए है।



इस वर्ष 26 सितंबर 2022, सोमवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में नवरात्र के पर्व को बेहद खास माना जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। माता रानी के भक्तों को उनकी आराधना करने के लिए पूरे साल शारदीय नवरात्र का इंतजार रहता है। पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है।इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही है, जो कि 05 अक्टूबर 2022 तक मनाई जाएगी। नवरात्र में लोग उपवास रहकर मां जगदंबे की विधि-विधान से पूजा करते हैं। अपनी श्रद्धा और शक्ति के अनुसार कुछ लोग पूरे नौ दिन, तो कुछ लोग पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। साथ ही शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं।
शहर के जाने माने पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया कि इस बार शारदीय नवरात्र को बेहद शुभ माना गया है, क्योंकि इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। वैसे तो माँ दुर्गा के मुख्य वाहन शेर है,परंतु शास्त्रों के अनुसार माता का आगमन और गमन जिस दिन होता है उस दिन के अनुसार वाहन निर्धारित होता है। कई क्षेत्रों मे जल की अधिकता होने कि प्रवलता है।



वैसे माता का आना और गमन वाहन एक होने से कई मामलों मे काम काज धीमी गति से होगी।
दुनिया मे काफी उतार चढाव रहेगा। वैसे हाथी पर आना जाना अशुभ की तुलना मे शुभ की अधिकता रहेगी।
माता के प्रस्थान का वाहन गज यानी हाथी मंगलमय जीवन का संकेत देता है। यह शांती और समृद्धि का प्रतिक है। हाथी पर मां दुर्गा के आगमन या प्रस्थान का अर्थ है कि माता आपके जीवन को अच्छे कर्म, आशिर्वाद, प्रेम और खुशियों से भर देंगी। पंडित पंकज झा शास्त्री का कहना है कि देवी मां का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना उत्तम वर्ष का संकेत है।
धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार मां का हाथी पर सवार होकर आना बेहद शुभ संकेत माना गया है। मान्यता है कि यदि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वह अपने साथ ढ़ेर सारी खुशियां और सुख-समृद्धि भी लाती हैं। क्योंकि हाथी को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।



माता के प्रस्थान का वाहन गज यानी हाथी मंगलमय जीवन का संकेत देता है। यह शांती और समृद्धि का प्रतिक है। हाथी पर मां दुर्गा के आगमन या प्रस्थान का अर्थ है कि माता आपके जीवन को अच्छे कर्म, आशिर्वाद, प्रेम और खुशियों से भर देंगी। देवी मां का हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करना उत्तम वर्ष का संकेत है।
वैज्ञानिक आधार यह है कि पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के लिए और तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है।



जहाँ मूर्ति बनाकर पूजा होती है वहां कलश स्थापना के एकदिन पूर्व रात्रि को ही माता का अवाहन किया जाता है।  अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। चूंकि यहां रात गिनते हैं इसलिए इसे नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है। रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है और, इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है।
इन मुख्य इन्द्रियों में अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन, नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
कलश स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त - प्रातः 06:02 से दि 07:31 तक,
इसके उपरांत दि 09:03 से दि 02:59 तक अति उत्तम रहेगा।
चन्द्र्मा इस दिन कन्या राशि मे दिन रात होगा।



👉26 सितंबर, 2022 दिन : सोमवार।
(प्रतिपदा तिथि रा 03 :32 तक)
कलश स्थापना, दुर्गाआगमन,दुर्गा पुज्नोत्सव,माँ शैल पुत्री पूजा।
👉27 सितंबर, 2022 दिन : मंगलवार।
(द्वितीया तिथि रा 03:01 तक)
श्री रेमन्त पूजा,माँ ब्रम्हचारी पूजा।
👉28 सितंबर, 2022 दिन: बुधवार।
(तृतीया तिथि रा 01:59 तक)
माँ चंद्रघण्टा देवी पूजन।
👉29 सितंबर, 2022 दिन : गुरूवार।
(चौक तिथि रा 12:34 तक)
श्री गणेश पूजन,माँ कूष्माण्डा देवी पूजन।
👉30 सितंबर,2022 दिन : शुक्रवार।
(पंचमी तिथि रा 10:49 तक)
माँ स्कन्दमाता पूजन।
👉01 अक्टूबर 2022, दिन : शनिवार।
(षष्ठी तिथि रा 08:46 तक)
विल्वाभिमन्त्रण,गज पूजा,माँ कात्यायनि पूजा।
👉02 अक्टूबर, 2022 दिन : रविवार।
(सप्तमी तिथि संध्या 06:30 तक)
नवपत्रिका प्रवेश,माँ कालरात्रि पूजा,महा रात्रिनिशापूजा,
👉03 अक्टूबर, 2022 दिन : सोमवार।
(अष्टमी तिथि दि 04:08 तक)
महा अष्टमी व्रत,माँ गौरी देवी पूजा,दुर्गा अष्टमी व्रत।
👉04 अक्टूबर, 2022 दिन : मंगलवार।
(नवमी तिथि दि 01:42 तक)
महा नवमी व्रत,त्रिशूलनी पूजा,माँ सिद्धिधात्री पूजा।
👉05 अक्टूबर, 2022, दिन : बुधवार।
(दशमी तिथि दि 11:10 तक)
विजया दशमी,नवरात्र व्रत पारण,देवी विसर्जन, अपराजिता पूजा, जयन्ती धारण।
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उपरोक्त अध्यात्म विचार प्रेस कार्यालय को पंकज झा शास्त्री 9576281913 वाट्सएप माध्यम से दिया गया।
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपार्ट प्रकाशित व प्रसारित।




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