क्या है नवपत्रिका, नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्त्व : देवी दुर्गा के अनुष्ठानों में से एक नाम है नवपत्रिका :शास्त्री
क्या है नवपत्रिका, नवपत्रिका पूजा का विशेष महत्त्व : देवी दुर्गा के अनुष्ठानों में से एक नाम है नवपत्रिका :पंकज झा शास्त्री
दुर्गा पूजा के दौरान इसकी पूजा की जाती है और इसके बिना मां दुर्गा की पूजा मानी जाती है अधूरी: पंकज झा शास्त्री
जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट
नव पत्रिका यानी नौ तरह के पत्तियों को संगठित कर बेल वृक्ष रख षष्ठी तिथि को विधिवत पूजा कर देवी महाशक्ति को आवाहृन किया जाता है : पंकज झा शास्त्री
नवपत्रिका पूजा सप्तमी की सुबह शुरू होती है, एक बार जब नवपत्रिका पूजा की जाती है, तभी सप्तमी की रस्में शुरू की जाती हैं : पंकज झा शास्त्री
अध्यात्म डेस्क/दरभंगा/मधुबनी/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय ०१ अक्टूबर,२०२२)। देवी दुर्गा के अनुष्ठानों में से एक नाम है नवपत्रिका । दुर्गा पूजा के दौरान इसकी पूजा की जाती है और इसके बिना मां दुर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है। नव पत्रिका यानी नौ तरह के पत्तियों को संगठित कर बेल वृक्ष रख षष्ठी तिथि को विधिवत पूजा कर देवी महा सक्ति को अवाहन किया जाता है। बेल में भगवती दुर्गा का ज्योति माना गया है।
सप्तमी की सुबह नवपत्रिका यानी कि नौ तरह की पत्तियों से मिलकर बनाए गए गुच्छे की पूजा कर बेल तोरी होती है। और फिर बेल संग नवपत्रिका को डोली मे स्थापित कर ढोल बाजे के साथ पूजा पंडाल तक लाया जाता है।
पंडित पंकज झा शास्त्री के अनुसार इन नौ पत्तियों को दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। नवपत्रिका को सूर्योदय से पहले स्नान कराया जाता है। इस स्नान को महास्नान कहा जाता है। पुनः विधिवत पूजा किया जाता है।
नव पत्रिका मे शामिल होने वाले पत्ती
धान की बाली: मां लक्ष्मी का प्रतीक
केले के पत्ते: ब्राह्मणी का प्रतीक.
बेल पत्र: भगवान शिव का प्रतीक.
कच्वी के पत्ते: मां काली का प्रतीक.
हल्दी के पत्ते: मां दुर्गा का प्रतीक.
जौ की बाली: देवी कार्तिकी का प्रतीक.
अनार के पत्ते: देवी रक्तदंतिका का प्रतीक.
अशोक के पत्ते: देवी सोकराहिता का प्रतीक.
नवपत्रिका पूजा धूमधाम के साथ मनाई जाती है । मिथिलांचल के इलाकों में पूजा पंडालों के अलावा किसान भी नवपत्रिका पूजा करते हैं । किसान अच्छी फसल के लिए प्रकृति को देवी मानकर उसकी आराधना करते हैं ।
पंडित पंकज झा शास्त्री ने बताया की नवपत्रिका पूजा सप्तमी की सुबह शुरू होती है । एक बार जब नवपत्रिका पूजा की जाती है, तभी सप्तमी की रस्में शुरू की जाती हैं। पवित्र स्नान ,पुजा के बाद, नवपत्रिका को लाल साड़ी में लपेटा जाता है और फिर नवपत्रिका की पत्तियों पर सिंदूर का लेप किया जाता है ।
नवपत्रिका को लजाया जाता है इसके बाद लोग चंदन का लेप, फूल और अगरबत्ती से नवपत्रिका की पूजा करते हैं । इसके बाद, नवपत्रिका को प्रवेश करा भगवान गणेश के दाहिनी ओर रख दिया जाता है, उपरांत दुर्गा प्रतिमा को मन्त्रों द्वारा नेत्र ज्योति देकर,भक्तों के लिए दरबार खोल दिया जाता है।
इसी रात्रि निशित काल अष्टमी होने पर माता का महा पूजा होता है जिसे निशा पूजा या कालरात्रि पूजा कहा जाता है, माँ को 56 या 108 प्रकार का भोग लगाया जाता है,महा प्रसाद का विशेष महत्त्व है।
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक /सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा पंडित पंकज झा शास्त्री की अध्यात्म विचार प्रकाशित व प्रसारित।
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