आज कायस्थों को अपने समाज के उत्थान हेतु नीति बनाकर उस पर अमल करने की जरूरत है : अजीत सिन्हा

 आज कायस्थों को अपने समाज के उत्थान हेतु नीति बनाकर उस पर अमल करने की जरूरत है :  अजीत सिन्हा


जनक्रांति कार्यालय से संवाद सूत्र की रिपोर्ट


देश के पांच दिशाओं से कायस्थों का जनजागरण एंव कायस्थ जोड़ो अभियान की शुरुआत उनकी समस्याओं की जानकारी हेतु करें : अजीत सिन्हा कायस्था फाउंडेशन

बोकारो,झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 10 अक्टूबर, 2022)। कायस्था फाउंडेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एंव कायस्था चेतना सप्ताहिक समाचार पत्र के सह सम्पादक अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपने कायस्थ समाज के सम्बंध में कुछ बातों को रखते हुए कहा कि जिन्हें उत्थान की ओर अग्रसर होना होता है वे अपने समाज के इतिहास से अवश्य ही परिचित होना चाहिये क्योंकि कल राजा - राजवाड़ों की सन्तान रहे और जिन्होंने लगातार 700 सालों तक इस पृथ्वी पर अक्षुण्ण राज किया वे आज की परिस्थितियों में अलग - थलग कैसे पडे हुये हैं..?

आपस में एकता क्यों नहीं है..? सभी एक छतरी के नीचे आना चाहते हैं लेकिन क्यों नहीं आ पा रहे हैं..? स्व उत्थान के लिए तो प्रयासरत हैं लेकिन अपने समाज के उत्थान के लिए उतने प्रयत्नशील क्यों नहीं हैं..? क्यों एक दूसरे की टांग खिचाई और आपसी वैमनस्यता के शिकार हैं..? निश्चित रूप से समाज के लोगों के बीच जागृति तो आई है लेकिन उसका प्रयोग सही रूप से क्यों नहीं कर पा रहे हैं..? इस समाज के प्रबुद्ध एंव समृद्ध वर्ग क्यों कमजोर कायस्थों को आगे बढ़ाने का कार्य नहीं कर रहे हैं यदि कर रहे हैं तो ऐसी जानकारी सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं दी जा रही है..?

क्यों एक कायस्थ को दूसरे कायस्थ से मिलने में परेशानी हो रही है..? समाज उत्थान की जगह लोग स्व उत्थान में ही क्यों लिप्त हैं..? क्यों अनेक क्षेत्रों से जुड़े कायस्थ संगठनों में आपसी तालमेल और एकता नहीं हो रही है..? इन सभी बातों के जवाब कायस्थों को स्वयं ढूंढकर नीति बनानी होगी और उस पर अमल कर आगे बढ़ना ही श्रेयस्कर रहेगा और इसके लिए कायस्थों के समृद्ध और प्रबुद्ध वर्ग को ही आगे आना होगा क्योंकि कायस्थों में प्रबुद्धता की कमी नहीं है लेकिन समृद्ध लोंगो की अवश्य कमी है और जो समृद्ध हैं उनकी नीयत एंव जिम्मेदारी की आकांक्षा कितनी प्रबल है ये भी देखने की जरूरत है।

गरीब कायस्थों को कैसे आगे बढ़ायें इसके लिये नीति के साथ नेक नियति की जरूरत है।

कायस्थों के बीच जनजागरण अभियान के साथ ही कायस्थ जोड़ो अभियान की भी जरूरत है, कायस्थों के बच्चे आर्थिक, शारीरिक, मानसिक, बौध्दिक, सामाजिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक, साँस्कृतिक, फिल्म इत्यादि क्षेत्रों में अपने वर्चस्व को कैसे स्थापित करें इस पर भी सोंचने की जरूरत है। और इन क्षेत्रों में प्रगति के लिये आपसी एकता सबसे पहले जरूरी है क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता है।


सहृदयता, दया जैसे गुण जब सभी के लिए जरूरी है तो उसमें समाज के बच्चों पर पहले क्यों नहीं..?
मैंने पहले भी कहा है कि कायस्थ समाज हमेशा से राष्ट्रवाद एंव हिन्दुत्ववाद की ओर उन्मुख रहा है और रहना भी चाहिये लेकिन थोड़ी कायस्थवाद भी कायस्थों को करनी चाहिये क्योंकि जब तक अपना समाज मजबूत नहीं होगा तब तक सारी बातें थोथी बकवास ही साबित होंगी। कायस्थों की पतन उनके कर्मों के कारण ही है क्योंकि 75 % से ज्यादा कायस्थ शराब जैसे नशे की लत के शिकार हैं और नशा नाश का कारण होती है 95% से ज्यादा कायस्थ केवल खाने - पीने में ही व्यस्त हैं और कर्जा लेकर घी पीने की नीयत रखते हैं, कायस्थों की जमीन, धन - संपदा कुछेक को छोड़कर सिमटती जा रही है और दहेज रूपी दानव समाज की ल़डकियों को अन्तर्जातीय विवाह करने पर मजबूर कर रहीं हैं और कुछ धर्म विशेष द्वारा चलाए गये लव जेहाद के शिकार हैं।

कायस्थ सांस्कारिक के जगह असांस्कारिक होते जा रहे हैं क्योंकि हमने अपने बच्चों को गुरुकुल की जगह कान्वेंट एंव प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की नींव डाली है जिससे 10% बच्चे पैसा कमाने की मशीन तो बन गये हैं लेकिन उनमें संस्कार नहीं क्योंकि उन्होंने हॉस्टलों के संस्कार ग्रहण कर लिए हैं और आज समाज के लोग उच्च पदों पर कम क्यों होते  जा रहे हैं..? सरकारी नौकरियों में समाज के बच्चों का प्रतिशत क्यों गिरता जा रहा है..? अन्य क्षेत्रों में कायस्थ क्यों अपनी वर्चस्व स्थापित नहीं कर पा रहे हैं..?

ऐसे बहुतेरे प्रश्न हैं जिसका उत्तर ढूँढने की आवश्यकता है और उत्तर मिलने पर नीति बनाकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है  और इसके लिए सभी मानिंदों सहित सभी क्षेत्रों के कायस्थ संगठनों को एक छतरी के नीचे आना ही होगा और इसके लिए मेरी सुझाव है कि कायस्थ धन्नासेठ अपनी तिजोरी को खोल समाज के लिए काम करने वालों को केवल प्रोत्साहित ही न करें अपितु उन पर नजर भी रखें, देश के पांच दिशाओं से कायस्थ जनजागरण एंव कायस्थ जोड़ो अभियान की शुरुआत उनकी समस्याओं की जानकारी हेतु भी करें। और तीन महीने बाद एक निश्चित तिथि एवं स्थान पर कायस्थ महाकुंभ या बुद्धिजीवी समागम का आयोजन करें और उसके बाद यही प्रक्रिया सर्वसमाज के साथ आपसी सामंजस्य बैठाने का प्रयास करें तभी लोग कायस्थों के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे और तभी आप सत्तासीन होकर अपनी खोई हुई पुरानी गौरव को प्राप्त करेंगे।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से संवाद सूत्र की रिपोर्ट बिहार कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित।

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