दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित

 दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग द्वारा किया गया आयोजित


जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


भारत के संपूर्ण एशिया यूरोप की नहीं अपितु विश्व में अपनी कला एवं संस्कृति के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई है :चित्रकला विभाग

मुजफ्फरनगर,उत्तरप्रदेश(भारत) 07 जनवरी,2024। संवाद सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जैन कन्या पाठशाला महाविद्यालय मुजफ्फरनगर में चित्रकला विभाग के द्वारा जैन विद्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार (5, 6 फरवरी 2024) का आयोजित किया गया। सेमिनार का विषय एशिया की समकालीन कला पर भारतीय प्रभाव" था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर सीमा जैन ने की। कार्यक्रम की कन्वीनर एवं ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री एवं चित्रकला विभागाध्यक्षा प्रोफेसर वन्दना वर्मा ने सफलतापूर्वक कार्यक्रम का संचालन किया। प्रोफेसर अमिता अग्रवाल पूर्व प्राचार्या एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्षा मुन्नालाल पीजी कॉलेज सहारनपुर, प्रोफेसर नंदलाल ठाकुर वाइस चेयरमैन ललित कला अकादमी दिल्ली व को-ऑर्डिनेटर फाइन आर्ट डिपार्टमेंट शिमला हिमाचल यूनिवर्सिटी तथा श्री जे. नंदकुमार संयोजक अखिल भारतीय प्रज्ञा प्रवाह, प्रोफेसर महेश कुमार विभाग अध्यक्ष चित्रकला विभाग जेवी जैन पीजी कॉलेज सहारनपुर ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किये।

श्री जे. नंद कुमार ने कहा कि कला केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं है, अपितु यह एक साधन है जो हमें मोक्ष और शाश्वत सत्य की ओर ले जाती है। आज का कलाकार वर्तमान में आने वाले भविष्य को भारत के गौरवमयी रूप को अपनी कला के माध्यम से संवार रहा है। भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण रूप इसकी विविधता में है। जिसमें चित्रकला संगीत वास्तुकला इत्यादि का महत्वपूर्ण योगदान है भारत के संपूर्ण एशिया यूरोप की नहीं अपितु विश्व में अपनी कला एवं संस्कृति के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई है।


अमिता अग्रवाल ने अपने संबोधन में बताया कि समय के साथ-साथ साउथ ईस्ट एशियन कंट्रीज जैसे नेपाल म्यांमार कंबोडिया जैसे देशों पर राम के चरित्र का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित हो दर्शाताता है जो दक्षिण भारतीय प्रभाव को दर्शाता है । वहीं प्रोफेसर बीरपाल भौतिक विभाग अध्यक्ष, सीसीएस यूनिवर्सिटी नेअपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति के गौरवशाली इतिहास को जीवित रखने में तथा संपूर्ण विश्व में उसका प्रचार करने कल एक सशक्त माध्यम रहा है यह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने मन को एकाग्र रख सकते हैं तथा अपने उद्देश्य को सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकते हैं ।

इसके अलावा प्रोफेसर महेश कुमार  ने एशियाई देशों की कला पर भारतीय प्रभाव को गहराई से समझाया उन्होंने जापान चीन भारत की कला की नई में मूल सिद्धांतों और नियमों को उजागर किया । उन्होंने बताया कि दक्षिणी भारतीय मंदिरों तथा भारतीय धर्म की छाप अन्य देशों पर स्पष्ट दर्शनीय है। कुंदकुंद जैन डिग्री कॉलेज खतौली से प्रोफेसर नीतू वशिष्ठ जी ने अपने संबोधन से हमारा मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम में प्रज्ञा प्रवाह केंद्रीय टोली सदस्य एवं उत्तर प्रदेश उत्तराखंड क्षेत्रीय संयोजक भगवती प्रसाद राघव, भारतीय प्रज्ञान परिषद मेरठ प्रांत से प्रांत अध्यक्ष प्रो. बीरपाल सिंह, प्रांत संयोजक अवनीश त्यागी, प्रचार आयाम समन्वयक श्री तुमूल जी, प्रांत महिला समन्वयक प्रो. अनिता गोस्वामी, प्रांत की आधिकारिक पत्रिका हस्तिनापुर दर्पण से डा. प्रदीप पवार, प्रांत आयाम समन्वयक प्रो. डा. अमिता अग्रवालजी, मा. शाकुम्भरी विश्वविद्यालय सहारनपुर

संयोजक डा. सुधांशुजी, सहारनपुर जिला सहसंयोजक डा. वंदना शर्मा, मुरादाबाद मंडल संयोजक डा. भारती चौहान, प्रांत कार्यकारिणी सदस्य डा. एस.सी. वार्ष्णेय, सहारनपुर मंडल संयोजक डा. रजनीश गौतम, प्रांत विधि सहसमन्वयक एडवोकेट नीरज शर्मा, डा. नीतू वशिष्ठ जिला संयोजक मुजफ्फरनगर, सहसंयोजक डा नितिन सिंह सहित अनेक दायित्वान, महिला, शोध, युवा, प्रचार आयाम के कार्यकर्ता सहभागी रहे है।

इस अवसर पर चित्रकला विभाग में एक कला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें लोक कला सांझी पर एक इंस्टॉलेशन आकर्षण का केंद्र रहा। असि० प्रोफेसर अमित कुमारजी ने कार्यक्रम में अपना सहयोग प्रदान किया।

प्रदर्शनी में छात्राओं द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स में लैंडस्केप पोर्ट्रेट म्यूरल की प्रशंसा की गई। कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से आए हुए शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किया चीन में हरीश यादव निशा राजपूत, राजीव उपाध्याय धर्मेंद्र कुमार ने अपना शोध का सारांश प्रस्तुत किया। इस सेमिनार से सभी शोधार्थियों और छात्राओं ने लाभ प्राप्त किया तथा ज्ञानवर्धन किया।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय समस्तीपुर बिहार से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा संवाद सूत्र से मिली जानकारी प्रकाशित किया गया।

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