मौत के सौदागर ...??? जिस तरह बदले- बदले हो तुम, पापी पेट के भारी दुश्मन हो तुम।

मौत के सौदागर ...???

जिस तरह बदले- बदले हो तुम,
पापी पेट के भारी दुश्मन हो तुम।

                 प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स" अधिवक्ता सह शिक्षक

       समस्तीपुर, बिहार ( मिथिला हिन्दी न्यूज कार्यालय 03 मई, 20 ) ।    
    
जिस तरह बदले- बदले हो तुम,
पापी पेट के भारी दुश्मन हो तुम।
कोरोना भी तुमसे डरकर भागे,
जिंदा मौत के सौदागर हो तुम।
वफादारी का जख्म दिये हो तुम,
दुश्मनी का खता किये हो तुम।
चोख करतूतें घिनौनी जानते हो तुम,
घात करके हमसबों को  छले हो तुम ।
दुध से धुले दिखतेफिरते थे  तुम,
"वत्स मगर आँसू 'बिष के  थैले हो तुम ।।
         प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स"
              अधिवक्ता, समस्तीपुर
समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रवीण प्रसाद सिंह "वत्स" की स्वरचित गजल सम्प्रेषित ।
 Published by Rajesh kumar verma

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