कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं हैं हिन्दुओं के लिए तो शव (कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति। किसी भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो।


कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं हैं


हिन्दुओं के लिए तो शव (कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति। किसी भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो।


@ Nagendra pd. Sinha



हिंदू समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के पीछे चार कदम भी रखता है तो उसे घर आ कर स्नान करना पड़ता है। फिर हम मजार पर चढ़ावा प्रसाद बच्चों को क्यों खिलाते हैं क्या वह अपवित्र नहीं है !


 प्रश्न - विनाश काले विपरीत पूजा क्या ....है....?

न ई दिल्ली, भारत ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 म ई,20 ) उत्तर - हिन्दुओं द्वारा परमात्मा को भूलकर पीर, फकीर की पूजा की जा रही है, पिशाच संस्कृति के राक्षसों को हिंदू मंदिरों व घरों में स्थापित किया जा रहा है, पूजा जा रहा है, फिर भी पूछते हो कि विनाश काले विपरीत पूजा क्या है? कब्र या मजार मरे हुए आदमी की होती है ।हिंदू समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के पीछे चार कदम भी रखता है तो उसे घर आ कर स्नान करना पड़ता है। फिर हम मजार पर चढ़ावा प्रसाद बच्चों को क्यों खिलाते हैं क्या वह अपवित्र नहीं है !
प्राय सभी कब्रें उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते
हुए मारे गए थे, इस हालत में उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजों का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए खुशी-खुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दिया था ?

बहराइच उत्तर प्रदेश में गाजी मियाँ की मजार है जिसको पूजने के लिए देश के कोने कोने से हिंदू आते है। इतिहास का थोडा सा भी जानकार व्यक्ति जानता है कि महमूद गजनवी के उत्तर भारत को बुरी तरह से लूटने और बर्बाद करने के बाद सन् 1030 में उसके भांजे सालार गाजी ने भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया। सिन्ध, पंजाब, हरियाणा को रौंदता हुआ उत्तर प्रदेश के बहराइच तक जा पहुँचा। रास्ते में लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया, लाखो हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया और लाखों हिंद औरतों के बलात्कार हुए, हजारों मंदिरों- गुरुकुलों का विध्वंस कर दिया गया तथा इस्लाम के जिहाद की आंधी तेज चलने लगी। ऐसे संकट के समय में बहराइच के राजा सुहेलदेव पासी ने गाजी मियाँ की सेना का सामना किया जिसमें सालार गाजी मारा गया। सलार गाजी के सेनापति ने वहीं उसकी कब्र बनवा दी। आज हिंदू उसे अपने कुल देवता मानकर पूजते है। अगर गाजी जिंदा रहता तो वह हिंदुओं का ओर कत्लेआम करता।
ऐसा ही चरित्र अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का है। ख्वाजा मोहम्मद गौरी के साथ भारत आया था,ख्वाजा ने छल कपट से हिंदुओं को मुसलमान बनाया तथा हिंदुओं के मंदिरों को नष्ट करवाया था। 
ऐसे ही कार्य दिल्ली में पीर निजामुद्दीन औलिया ने किया था।
जिसने जितना ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम किया, हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया वो उतना बड़ा पीर। यहाँ वहाँ, सड़कों के किनारे नाजायज कब्जे करके रातों रात नये नये नामों से मजारों का निर्माण कर दिया जाता है। यह एक सड्यँत्र के तहत किया जा रहा है।
क्या हिन्दुओं के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, दुर्गा अथवा
तेती कोटि देवी - देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं, क्या उनमें एक भी ऐसा देवता नहीं जिसे हमारे मूर्ख हिन्दू अपना देवता मान सकें।




हिन्दुओं के लिए तो शव (कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति। किसी भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो। इसलिए हिंदू समाज को इन मजार, कब्रों, पीरों की पूजा बंद करनी चाहिए। केवल और केवल उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए जो सभी के दिलों में बसता है। समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा द्वारा नागेंद्र प्रसाद सिन्हा की आलेख प्रकाशित । Published by Rajesh kumar verma

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