समस्तीपुर राजद विधायक सह प्रदेश मीडिया प्रभारी अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए किया सवाल

समस्तीपुर राजद विधायक सह प्रदेश मीडिया प्रभारी अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए किया सवाल 

 

      पत्रकारों को संवोधित करते प्रदेश राजद प्रवक्ता

     सह समस्तीपुर विधायक अख्तरुल इस्लाम शाहीन


दिहाड़ी मजदूरों और अप्रवासी श्रमिकों को लॉकडाउन के पुर्ण होने तक 03 महीने से बिना काम के बैठे उन्हें 03 महीने और कोई काम नहीं मिलेगा 

बिहार सरकार से इन सभी श्रमिकों को शुरू में न्यूनतम 200 दिन का एकमुश्त 10 हजार भत्ता किया मांग 

अप्रवासी श्रमिकों के लिए बनाए गए कार्य योजना को सार्वजनिक किया जाए ताकि जनता भी जान सके सरकार की कार्य योजना 

पत्रकारों के बीच मास्क भी किया गया वितरण 

मुख्यमंत्री के नजर में अप्रवासी मजदूर की बढ़ रही भीड़ संदेह के नजर में

कर सकते है चोरी, डकैती की बात बढ़ने की घोर निंदा किया

समस्तीपुर कार्यालय 

समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रान्ति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 06 जून,2920 ) । समस्तीपुर राजद विधायक सह प्रदेश मीडिया प्रभारी अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए किया सवाल । उन्होंने आज अपने आवास पर एक प्रेस वार्ता आयोजित कर पत्रकारों को संवोधित करते हुऐ राजद विधायक सह प्रदेश मीडिया प्रभारी ने कहां की कोरोना संकट में श्रमिकों, दिहाड़ी मज़दूरों और बेरोज़गारों के निम्न मुद्दों पर दिशाहीन बिहार सरकार से उनकी राय और कुछ सवाल पूछना चाहूँगा की 
1. सरकारी आँकड़ो के अनुसार अभी तक 30 लाख से अधिक श्रमिक बाहरी राज्यों से वापस बिहार आयें हैं। विगत कुछ दिनों से सरकार उनको राज्य के भीतर ही रोज़गार मुहैया कराने का आश्वासन दे रही है। मैं सरकार से जानना चाहूँगा की उनके पास इसके लिए आश्वासन के अलावा क्या रोड्मैप है? किन-किन क्षेत्रों में नौकरी देंगे और हरक्षेत्र के लिए बनाई गई कार्य योजना का विस्तृत ब्यौरा सार्वजनिक करे। ताकि सभी बेरोज़गारों के इसके बारे में updated जानकारी मिले।
2. सरकार बताए कि बाहर से आए हमारे सभी मज़दूर भाईयों ने क्वारंटाइन के लिए तय समय सीमा को पूरा कर लिया? क्या सरकार ने उनके आगमन पर सभी प्रकार की जाँच व कोरोना टेस्टिंग किया? श्रमिकों के संक्रमण रोकने के लिए क्या बचाव, उपचार और उपाय किए गए?
3- बिहार के विधि व्यवस्था ADG के एक पत्र के अनुसार हमारे श्रमिक भाईयों के आगमन पर बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी! हम यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार श्रमवीरों भाईयों को चोर, लुटेरा और अपराधी समझ रही है? क्यों सरकार इन्हें आरम्भ से ही
अपराधियों के समान समझ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर पशुवत व्यवहार करती रही..?
4. सरकार का यह पत्र Dignitiy of Labour (श्रम की गरिमा) और Dignity of Human (मानव की गरिमा) की धज्जियाँ उड़ा रहा है। अपने ही प्रदेशवासियों को दोयम दर्जे का नागरिक ही नहीं अपितु उन्हें लुटेरा और अपराधी समझा जा रहा है। प्रवासी शब्द पर प्रवचन देने वाले मुख्यमंत्री
जी, आपकी सरकार श्रमिकों को प्रवासी ही नहीं बल्कि अपराधी भी बोल रही है।
5. ADG के पत्र के अनुसार रोजगार नहीं मिलने पर हमारे श्रमिक भाई उग्र होने वाले हैं! तो क्या सरकार यह मान चुकी है कि उनके लिए हमारे श्रमवीरों को रोजगार देना असम्भव है..? फिर सरकार रोज नए दावे कर श्रमवीर भाईयों को भ्रमित क्यों कर रही है..? क्या ये हवाई घोषणाएं बस
चुनाव तक के लिए बिहारवासियों को मूर्ख बनाने की कवायद तो नहीं..?
6. सरकारये बताए कि इनके पंद्रह साल के शासन में कितने कल-कारखाने, फैक्टरी और उद्योग बंद हुए और कितने नए उद्योग लगाये गए है..? 15 साल में कुल कितने युवाओं को नौकरी दी गयी...? कुल कितने बेरोज़गार प्रदेश में है...?
7. औसत एक परिवार का आकार (family size) में 5 सदस्य भी माने तो सिर्फ श्रमवीरों के वापस आने से 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। उसके अलावा राज्य के अंदर पहले से लगभग 7 करोड़ युवा बेरोज़गार हैं। लॉक्डाउन में तकरीबन 50 लाख रेहड़ी-पटरी, ठेला-रिक्शा वाले और दिहाड़ी मज़दूर भी लगभग ढाई-तीन महीने से रोज़गारसे वंचित रहें। सरकार इन लगभग 8-9 करोड़ बेरोज़गारों
को कैसे तत्काल रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराएगी..? प्रदेशवासियों को इस पर विस्तृत रूप से समझाया जाए। कार्य योजना की विस्तृत वर्णन करते हुऐ सावर्जनिक करने की बात कहीं है । वहीं  सरकार से श्री शाहीन ने माँग करते हुऐ कहा है की सभी दिहाड़ी मज़दूरों और श्रमिकों को जो लगभग इस लॉकडाउन के पूर्ण होने तक 100 दिन यानि 3 महीने से बिना काम के घर बैठे हैं और उन्हें आगामी 3 महीने यानि लगभग 100 दिन और कोई काम नहीं मिलेगा। बिहार सरकार इन सभी श्रमिकों को शुरू में न्यूनतम 200 दिन का एकमुश्त 10000 नकद राशि भत्ता दे। उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा की हर श्रमिक भाई पर औसतन 05 लोग आश्रित हैं। 200 दिन प्रति श्रमिक 10000 का भत्ता देने पर हर श्रमिक को मात्र 50 रू प्रतिदिन मिलेगा और यदि औसतन 05 व्यक्ति प्रति श्रमिक के हिसाब से जोड़े तो हर व्यक्ति को प्रतिदिन 10रु ही देना है। उन्होंने सरकार से माँग किया हैं कि इन सभी श्रमिकों को 10000 रुपये की एकमुश्त मदद की राशि यथाशीघ्र उपलब्ध करवाए क्योंकि सरकार प्रदत्त लम्बी बेरोजगारी और उत्पीड़न झेल रहे सभी श्रमिकों पर कई लोग आश्रित हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब महागठबंधन की सरकार थी तब बिहार विकास मिशन के अंतर्गत शुरुआती तौर पर प्रदेश के 65 लाख बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता देने की योजना थी लेकिन बीजेपी के साथ जाते ही मुख्यमंत्री वह भुल गए। उन्होंने कहा कि इस गंभीर संकट में सभी बेरोज़गारों को बेरोज़गारी भत्ता दिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा की राज्य सरकार विशेष सत्र बुलाकर कोरोना संकट के उपरांत उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए fiscal expenditure में संसोधन करे। गैर ज़रूरी योजनाओं के funds को रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य व्यवस्था में खर्च करने हेतु निर्धारित करे। वहीं बाहर से आए हमारे श्रमिक भाई कुशल कारीगर हैं। ऐसा मौक़ा शायद फिर नहीं मिलेगा जब skilled labor इतनी संख्या में आपके पास उपलब्ध हो। इन्होंने दूसरे राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है। सरकार को इन्हें इनके कौशल और अनुभव का फ़ायदा राज्य के विकास के लिए बिना वक़्त गवाएँ लेना चाहिए। जिलावार रोज़गार कैम्प लगाकर इनको नौकरी देने का काम शुरू करना चाहिए विगत 15 वर्षों से सरकार सोती रही और आज ज़मीन खिसकते देख लोगों को रोजगार देने का ढोंग और स्वांग कर रही है। चुनावी घोषणा और लफ्फाज़ी से इतर सरकार को इसपर गम्भीरता से विचार करने की हम उम्मीद करते हैं। वार्ता उपरांत कोरोना सेे बचाव के लिए पत्रकारोंं के बीच मास्क वितरण किया गया। 
मौके पर समस्तीपुर राजद प्रवक्ता राकेश कुमार ठाकुर , राकेश कु० यादव , राजद युवा प्रधानमहासचिव सहित दर्जनों राजद कार्यकर्ता मौजूद थे ।समस्तीपुर कार्यालय से राजेश कुमार वर्मा की रिपोर्ट ।

Published by Rajesh kumar verma

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