जनक्रांति अध्यात्म विचार.. मास वैशाख

 जनक्रांति अध्यात्म विचार.. मास वैशाख

जनक्रांति कार्यालय से नागेंद्र कुमार सिन्हा की रिपोर्ट

अध्यात्म डेस्क ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 अप्रैल, 2021 ) । वैशाख मास नववर्ष की वैशाख हिन्दू धर्म का द्वितीय महीना है। विशाखा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम वैशाख पड़ा । इस वर्ष 28 अप्रैल 2021 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) से वैशाख का आरम्भ हो गया है । वैशाख मास का एक नाम माधव मास भी है । इस मास के देवता “मधुसूदन है । वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।
वैशाख मास में सवेरे का स्नान, यज्ञ, दान, उपवास, हविष्य-भक्षण तथा ब्रह्मचर्य का पालन - ये महान पातकों का नाश करने वाले हैं ।
वैशाख मास में गृह प्रवेश करने से धन, वैभव, संतान एवं आरोग्य की प्राप्ति होती हैं ।
देव प्रतिष्ठा के लिये वैशाख मास शुभ है। वृक्षारोपण के लिए वैशाख मास विशेष शुभ है ।
जो वैशाख मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरन्तर प्रीति करते हैं।
जो मार्ग में अनाथों के ठहरने के लिए विश्रामशाला बनवाता है, उसके पुण्य फल का वर्णन नहीं किया जा सकता।
                            👉🙏🏿🌹 जय चित्रांश..🤳🌹🙏🏿👈


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा अध्यात्म विचार नागेंद्र कुमार सिन्हा की विचार प्रकाशित व प्रसारित । 

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