पश्चिमी बंगाल की वर्तमान स्थिति पर किया गया ऑनलाइन परिचर्या आयोजित

 पश्चिमी बंगाल की वर्तमान स्थिति पर किया गया ऑनलाइन परिचर्या आयोजित 

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट 


 पश्चिमी बंगाल के निवर्तमान राज्यसभा​ सदस्य स्वप्न दास गुप्ता ने प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित क्षेत्रीय मीडिया के सामने प्रेस वार्ता के माध्यम से अपनी रखी बात 

समाचार डेस्क, ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 30 मई,2021 )। पश्चिमी बंगाल के हाल में ही संपन्न हुए चुनावों के बाद हुई व्यापक हिंसा भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय बन गई है। देश में ऐसा पहली बार हुआ है, कि अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए इस बड़े पैमाने पर लोगों को निशाना बनाया गया है। ऐसा पश्चिमी बंगाल के निवर्तमान राज्यसभा​ सदस्य स्वप्न दास गुप्ता ने प्रज्ञा प्रवाह द्वारा आयोजित क्षेत्रीय मीडिया के सामने प्रेस वार्ता के माध्यम से अपनी बात रखी। विषय की गंभीरता पर प्रस्तावना वरिष्ठ स्तम्भकार विकास सारस्वत जी द्वारा रखी गई। प्रोफेसर वी.के. सारस्वत जी द्वारा आगुंतकों सहित सभी मीडिया​ बंधुओं का आभार व्यक्त किया गया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के बुद्धिजीवियों ने लोकतंत्र पर हुए इस सुनियोजित हमले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। प्रज्ञा प्रवाह पश्चिमी क्षेत्र (उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड) के तत्वावधान में हुई प्रेस कान्फ्रेंस में पश्चिमी बंगाल राज्य में हुई हिंसा को लेकर जो तथ्य और आंकड़े प्रस्तुत किए गए, वह देश की मीडिया सहित आम जनता के लिए भी चौंकाने वाले हैं। 


पश्चिमी बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस द्वारा विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों व समर्थकों पर की गई हिंसा में कुल 1320 ही एफआईआर दर्ज हुई हैं। संभव है, सत्ता के भय से अनेक एफ आई आर दर्ज ही नहीं हुई, इसके अलावा भय से पलायन कर असम के धुबरी जिले में पहुंचे शरणार्थियों द्वारा भी 28 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं। 
दर्ज हुई प्रथमिकियों में हत्या , महिला उत्पीड़न के 29 मामले बताए गए हैं। इसके अलावा  चुनाव के बाद भी मारपीट, लूटपाट, तोड़फोड़, आगजनी और धमकी आदि के मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई हैं। जमीनी सूत्रों के अनुसार सत्ताधारी दल के दबाव में अधिकांश मामलों में प्राथमिकी दर्ज ही नहीं हो पायी हैं। लगभग 4400 दुकानें​ और मकान हमलों में क्षतिग्रस्त हुए हैं, साथ ही 200 मकान पूरी तरह से जमींदोज़ कर दिए गये हैं। पूर्व बर्धमान के औसग्राम में तो एक पूरी बस्ती को ही फूंककर नेस्तनाबूत कर दिया गया। आज भी अपने घरों को छोड़कर 6788 लोग असम के 191 शिविरों में जाकर के शरण लिये हुए हैं।
यहां विचारणीय विषय है,कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष विजय साँपला ने भी प्रशासनिक उदासीनता और भेदभाव की पुष्टि की है। आठ दिन तक निर्बाध चली हिंसा में दलित व जनजाति वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है।


राजनीतिक प्रतिशोध से शुरू हुई पश्चिमी बंगाल की हिंसा जल्द ही मजहबी उन्माद में भी बदल दी गयी। जिस नंदीग्राम से स्वयं ममता बनर्जी ने चुनाव लड़ा और हार गईं थीं, वहां तृणमूल के हिंदू समर्थकों पर भी गंभीर हमले हुए। वहां हिंदुओं को खदेड़ने के उद्देश्य से उनके खलिहानों में आग लगाने व तालाबों में जहर डालने की घटनाएं भी प्रकाश में आई हैं। 
पद्मभूषण पत्रकार लेखक, राजनैतिक विश्लेषक *भाजपा के पूर्व  राज्य सभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता*  के अनुसार अनेक इलाकों में भाजपा पदाधिकारियों पर जजि़या की तर्ज पर अर्थदंड भी लगाए गये हैं। उन्होंने चुनाव के बाद भी 2 और 3 मई को हुई हिंसा पर विस्तृत चर्चा के साथ ही साथ रोहिणी की पश्चिम बंगाल में घुसपैठ और उनके राजनीतिक प्रभाव एवं आंकड़ों के साथ बड़ी संख्या में जनता पर हो रहे अत्याचारों पर प्रकाश डाला। प्रज्ञा प्रवाह ने राज्य की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी के भड़काऊ बयानों और संविधानेंतर आचरण की भी आलोचना की। ध्यान रहे, कि दुर्गा पूजा पर रोक जैसी तुष्टीकरण की नीतियों के द्वारा ममता मजहबी उन्माद को बढ़ावा देती रही हैं। चुनाव के दौरान भी ममता और उनके मंत्री केंद्रीय बलों के लौट जाने के बाद विरोधियों को देख लेने की धमकी देते रहे हैं। 
वर्तमान में हिंदू समुदाय पर आये अस्तित्व के खतरे और तेजी से बदलते जनसंख्या अनुपात की दृष्टि से अति संवेदनशील पश्चिम बंगाल में विषय की गंभीरता को देखते हुए प्रज्ञा प्रवाह ने आशा व्यक्त की है कि सुप्रीम कोर्ट पूरे प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा।
पूर्व सांसद ने आगे कहा,कि बंगाल विकास पर पीछे होकर भ्रष्टाचार और हिंसा में आगे बढ गया है। वहां महिलाओं पर अत्याचार इस कदर बढ़ गये है,कि कोई महिला अपनी बेटी की जघन्य घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने जाती है, तब सत्ता के भय से त्रस्त प्रशासन उससे दुसरी बेटी के लिए ऐसी ही घटना का भय दिखाते हैं।
इस अवसर पर मीडिया की ओर से प्रमुख प्रश्नों का माननीय निवर्तमान राज्यसभा सांसद स्वप्न दास जी ने जवाब दिया। कुछ प्रश्न जैसे "पश्चिम बंगाल की राजनीति विकास से हटकर, धर्म परिवर्तन पर अटक गई है , कैसे लोकतंत्र की रक्षा हो सकेगी..?, पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद जो भी हिंसा हुई है उनसे सबसे अधिक प्रभावित महिलाएं ही हुई है, इसके पीछे राजनितिक उन्माद है या धार्मिक उन्माद..?, जम्मू कश्मीर से  अर्तिक्ल 370 हटाये जाने के बाद क्या पश्चिम बंगाल जो कि पूर्वी पाकिस्तान कहे जाने वाले बांग्लादेश का पडोसी है नया कश्मीर बनने की दिशा में है! क्या इसके पीछे कोई तीसरी ताकत है क्या यह राष्ट्रिय सुरक्षा के लिया संकट खड़ा कर रहा है..?, पश्चिम बंगाल में आमजन सुरक्षा पर किस तरह का केन्द्र को कदम उठाना चाहिए..?, महिलाओं की अक्षमता और बेबसी के इस मंज़र को देखने के बाद राज्य पाल भी रो पड़ते है? क्या संवैधानिक तरीके से महिलाओं के अधिकारों को बचाने के लिए कोई व्यवस्था संभव है..?, केंद्र सरकार की इसमें क्या भूमिका हो सकती है? आदि अनेक प्रकार के मीडिया द्वारा रखे गए प्रश्नों का जवाब दिया। 
इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संयोजक माननीय श्री भगवती प्रसाद राघव, कार्यक्रम संयोजक डॉ वीके सारस्वत, अवनीश त्यागी, डॉ अंजलि वर्मा, डॉ चैतन्य भंडारी, प्रोफेसर बीरपाल सिंह डॉ प्रवीण तिवारी, अनुराग  विजय, डॉ. देवेंद्र भसीन, नमन गर्ग, डॉ पृथ्वी काला, विकास सारस्वत, दिव्य कुमार,डॉ रवि शरण दीक्षित, डॉ वंदना वर्मा, डॉ सूर्य प्रकाश अग्रवाल, डॉ प्रदीप पवार सहित बड़ी संख्या में प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित ।

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