आज का अध्यात्मिक विचार अनुसार दैनिक पंचांग

 आज का अध्यात्मिक विचार अनुसार दैनिक पंचांग


जनक्रांति कार्यालय से नागेन्द्र कुमार सिन्हा की अध्यात्म विचार


                                                     जय मां लक्ष्मी

आजका ज्योतिषिय पंचांग....
तिथि: 28 मई 2021
रोज: शुक्रवार
विक्रम संवत - 2077/2078)
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ ( वैशाख)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - द्वितीया सुबह 09:36 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - मूल रात्रि 08:02 तत्पश्चात पूर्वाषाढा
योग - साध्य दोपहर 02:58 तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:36 तक
सूर्योदय - 05:58
सूर्यास्त - 19:13
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
व्रत पर्व विवरण -
विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
                                    🌹अध्यात्मिक विचार 🌹


🌡️विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए
🐥29 मई 2021 शनिवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:41)
🏜️शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
ॐ गं गणपते नमः ।
ॐ सोमाय नमः ।
  🌷 चतुर्थी‬ तिथि विशेष🌷
चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।
📇हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
🔍पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
🔍 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
🎋 “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
              🎈जीवन में अगर कोई कष्ट हो तो🎈
🎇 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या । ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है । उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों ।
👉🏻 मुक्ति पाने के छः मंत्र इस प्रकार हैं –
🌛 ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
🌛 ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
🌛 ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
🌛 ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
🌛 ॐ अविघ्नाय नम:
🌛 ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:

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जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा नागेन्द्र कुमार सिन्हा की अध्यात्मिक ज्योतिष विचार प्रकाशित व प्रसारित ।

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