आना चाहिए भास्कर का सच भी सामने : अखबार की आड़ में दूसरे धंधों की पर्दादारी करता रहा भास्कर बिजनेस समूह

 आना चाहिए भास्कर का सच भी सामने : अखबार की आड़ में दूसरे धंधों की पर्दादारी करता रहा भास्कर बिजनेस समूह


रिअल एस्टेट, बिजली-खनन, कपड़े से लेकर अनेक धंधों में अनियमिताएं, पर अखबार के जरिए इनकी पर्दादारी की

जनक्रांति कार्यालय से वाट्सएप ग्रुप उमाशरण श्रीवास्तव की संप्रेषित संवाद

भोपाल,मध्यप्रदेश ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 जुलाई,2021 ) । दैनिक भास्कर बिजनेस समूह यूं तो अखबार व्यवसाय के लिए जाना जाता है, लेकिन हकीकत ये है कि अखबार की आड़ में दूसरे धंधों की पर्दादारी की गई है। दैनिक भास्कर बिजनेस समूह रिअल एस्टेट, बिजली-खनन, टैक्सटाइल फैक्ट्री, शिक्षा, मॉल, फिल्म प्रोड्यूसिंग से लेकर कई धंधों में शामिल हैं। इन धंधों की गड़बडिय़ों को ढंकने के लिए भास्कर ने अखबार का खूब इस्तेमाल किया। हद ये कि भोपाल में वन क्षेत्र केरवा में भास्कर ने सारे नियमों को अखबार के दम पर बदलवाकर संस्कार वैली नाम से स्कूल डाल दिया। जब यह स्कूल शुरू किया गया, तब पर्यावरण और वन क्षेत्र को नुकसान के खूब आरोप लगे। बावजूद इसके अखबार के जरिए गठजोड़ करके समूह ने स्कूल को वन क्षेत्र में ही शुरू कर दिया। इसी क्षेत्र में बाद में भी अनेक बार बाघ घूमते पाए गए, लेकिन तब भास्कर ने यह कहा कि आवासीय इलाके में बाघ आए, जबकि इससे उलट भास्कर समूह ही बाघ के इलाके में जा पहुंचा था। इसी तरह एमपी नगर में संजय नगर झुग्गी-बस्ती को हटाया गया। इसके बाद भास्कर ने अखबार की पर्देदारी के जरिए वह जमीन सरकार से ले ली। उस पर आलीशान डीबी माल बना दिया गया। इसी माल में अब आयकर की टीम सर्च कर रही है।

आखिर सच सामने क्यों न आए.....
सवाल ये कि जब इतने धंधे हैं, तो उनकी गड़बड़ी और अनियमिता पर कार्रवाई क्यों न हो। भास्कर समूह का यह सच भी सामने आना चाहिए कि किस प्रकार अखबार की आड़ में दूसरे धंधों को बढ़ाया गया।

भास्कर के मप्र में ये प्रमुख बिजनेस...
भोपाल के केरवा क्षेत्र में संस्कार वैली नाम से स्कूल। यह वन क्षेत्र रहा है। बाघ घूमते रहे हैं। केरवा के वन क्षेत्र में संस्कार वैली स्कूल के लिए नियमों को बदलकर मंजूरी दी गई। जिस समय स्कूल बना, उस समय यह पूरा वन क्षेत्र था।
भोपाल के एमपी नगर में डीबी मॉल है। पहले इस जगह झुग्गी बस्ती थी। पॉश इलाके एमपी नगर में संजय नगर झुग्गी बस्ती थी। इस झुग्गी बस्ती को हटाकर बाद में सरकार के अफसरों से गठजोड़ करके भास्कर ने जमीन हथिया ली। इसके बाद डीबी माल बनाया गया।
भोपाल के मंडीदीप क्षेत्र में टैक्सटाइल फैक्ट्री है। भास्कर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से यह फैक्ट्री संचालित की जाती है। यहां भी नियमों की अनदेखी पर पर्दादारी की गई।
रियल एस्टेट में डीबी होम्स के तहत आवासीय कॉलोनियां। इंदौर में कॉलोनी है। रियल स्टेट में डीबी होम्स बड़े पैमाने पर काम कर रही है।
डीबी पॉवर कंपनी है। बिजली सेक्टर में काम है,  लेकिन मप्र में बिजली उत्पादन नहीं है। बिजली कंपनियों के तहत रीडिंग टेंडर और मेन पावर में भी डीबी पॉवर काम करती है।
सिंगरौली में डीबी पॉवर के नाम पॉवर प्लांट के लिए जमीन ली गई है। इस पर काम शुरू नहीं हुआ है। यह जमीन सरकार ने ही दी थी।
मुम्बई में फिल्म प्रोड्यूसिंग की कंपनी है। मुम्बई में कंपनी का स्टूडियो भी है। अनेक फिल्मों में ज्वाइंट प्रोड्सर पार्टनर बने।
अभिव्यक्ति एनजीओ का संचालन भास्कर गु्रप। यह सांस्कृतिक और शैक्षिक गतिविधि में। इस एनजीओ को अनेक बार सरकार से बड़े अनुदान भी मिले।
भास्कर ग्रुप का पब्लिकेशन हाउस किताबों की प्रिंटिंग भी करता है। यह पब्लिकेशन हाउस अखबारों की प्रिंटिंग के साथ - साथ सरकारी प्रिंटिंग भी करता रहा है।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा वाट्सएप ग्रुप मित्र सम्प्रेषित संवाद प्रकाशित व प्रसारित ।

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