जिला कृषि विभाग द्वारा किसानों को दिया जा रहा गैर मानक पारले गोल्ड का जैविक खाद

 जिला कृषि विभाग द्वारा किसानों को दिया जा रहा गैर मानक पारले गोल्ड का जैविक खाद


मान्यता प्राप्त प्रमाणीकरण एजेंसी को दरकिनार कर बेमानक एजेंसी का जैविक उत्पाद किसानों को देने की जांच व कार्रवाई हो- ब्रहमदेव

गांव- टोला में किसान पंचायत का होगा आयोजन- सुरेन्द्र



जिला कृषि कार्यालय द्वारा कार्यक्रम के दौरान किसनों को दिया गया प्रमाणिक एजेंसी के नामों की सूची

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट

ताजपुर/समस्तीपुर, बिहार ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 25 अगस्त 2021)। मान्यता प्राप्त प्रमाणिक ऐजेंसी को दरकिनार कर गैर मान्यता प्राप्त एजेंसी के पारले गोल्ड, शक्तिमान कंपनी आदि का महंगा जैविक किट किसानों को देने के खिलाफ प्रखण्ड के किसानों में आक्रोश व्याप्त है । इसे लेकर किसानों द्वारा कृषि पदाधिकारी को अवगत कराते हुए उक्त जैविक कंपनी की जांच व कार्रवाई की मांग किया था ।

कार्रवाई का आश्वासन भी मिला पर कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध किसानों ने अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले 23 अगस्त को कृषि पदाधिकारी वीरेंद्र पासवान के समक्ष बीडीओ मनोज कुमार से मिलकर शिकायत कर लिखित जबाब मांगा लेकिन समय सीमा बीतने के बाबजूद भी किसानों को न ही जबाब और न ही कार्रवाई देखने को मिला। फलस्वरूप किसानों ने आंदोलन को तेज करने की घोषणा कर दिया।


अब किसान गांव- टोला में किसान पंचायत का आयोजन कर किसान प्रश्न पर विस्तारपूर्वक बहस कर समाधान को लेकर प्रखण्ड स्तर पर किसान महापंचायत का आयोजन करेगी। इसमें भाकपा माले विधायक समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता, पंचायत प्रतिनिधि, विधायक को बुलाकर समस्याओं से अवगत कराकर महीने बाद शुरू होने वाली विधानसभा सत्र में उठाने की तैयारी शुरू कर दिया गया है।
   इस आशय की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रखण्ड अध्यक्ष ब्रहमदेव प्रसाद सिंह ने कहा है कि 16 पंचायत वाला प्रखण्ड में 16 किसान कोरिडोर है ।करीब 02 हजार किसान कोरिडोर से शेयर एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क देकर जुड़े हैं। ये कोरिडोर रसायनिक खाद से होने वाले खतरे से बचने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल कर सब्जी, फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया है।

रासायनिक खाद से एकाएक जैविक खाद अपनाने पर फसल का उत्पादन घटता है। इसके एवज में सरकार द्वारा तीन साल तक किसनों को प्रति डीसमल जमीन पर अनुग्रह अनुदान राशि देना है. इस पैसे से किसानों को जैविक इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना है ।कोरोना संकट के दौरान अप्रैल अन्तिम सप्ताह में दूसरी किस्त खाते पर मिला । किसान उक्त राशि निकाल खेती किये लेकिन तीन महीने से लगातार वर्षा के कारण भीषण जलजमाव से सारा फसल वर्बाद हो गया । बीज की कीमत तक किसानों नहीं मिल सका। जलजमाव के कारण नवम्बर से पहले कोई खेती की संभावना भी नहीं है । इसके बावजूद अभी खाद खरीदने को दबाव बनाना किसानों को समझ से पड़े है । किसान नेता ने आगे कहा कि अब विभागीय अधिकारी चालाकी से किसानों पर दबाव डालकर गैर मानक का जैविक किट खरीदने को मजबूर कर रही है. सैकड़ों किसान खरीद भी चुके हैं। लेकिन गुणवत्ता का आभाव देखकर किसानों की शिकायत पर महासभा के टीम द्वारा पदाधिकारियों से जांच की मांग करते ही रातों- रात ट्रक से मोतीपुर में गिराया हुआ पारले गोल्ड खाद कंपनी वाले लेकर फरार हो गया । इससे किसानों का शक और गहरा हो गया और किसानों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है।
  माले प्रखण्ड सचिव सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि फसल क्षति रिपोर्ट शून्य को बदलकर शत प्रतिशत फसल क्षति रिपोर्ट भेजने, जैविक खाद से उपजाये जा रहे सब्जी का सरकारी स्तर पर उच्च मूल्य पर खरीद करने, किसानों के केसीसी लोन माफ करने, नि: शुल्क बिजली देने, मनरेगा को कृषि से जोड़ने, आगामी फसल के लिए नगद राशि, खाद, बीज आदि देने, मोतीपुर सब्जी मंडी में सब्जी कोल्ड स्टोरेज, शेड, बैंक, गार्ड, भारत माला, सड़क, नहर में कटे किसानों के जमीन को उचित मुआवजा तत्काल देने आदि की मांग को लेकर गांव- टोला, पंचायत में किसान पंचायत लगाने की घोषणा की है ।


जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्रकाशित व प्रसारित ।

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