भजन संग्रह : समर्पण
भजन संग्रह : समर्पण
रचनाकार प्रमोद कुमार सिन्हा,बेगूसराय
समर्पण
एक ना एक दिन हे नाथ आना पड़ेगा
ह्रदय गुहा में अपना कुटी बनाना पड़ेगा
एक ना एक.......
लगता है जनम जनम का साथ है तेरा
पल पल याद का इसलिए होता है फेरा
भेजोगे दुबारा गर तुझे संभालना पड़ेगा
ह्रदय गुहा में.........
हुआ मुजरिम मैं तो तुम हाकिम हुआ है
इसीलिए आने जाने का सिलसिला है
उंगली पकड़ तुम्हें ही तो चलाना पड़ेगा
ह्रदय गुहा में.......
अबतक तो तू नचाया मैं नाचता रहा हूँ
नाटक तेरी लीला को पहचानता रहा हूँ
निर्देशन देकर आने से बचाना पड़ेगा
ह्रदय गुहा में.......
ना अब नाचूंगा ना तुझे मुझे नचाना है
दोनों की लज़्ज़ा भगवन तुझे बचाना है
मुक्त कर मुझे दिल में समाना पड़ेगा
ह्रदय गुहा में....
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय से रचनाकार प्रमोद कुमार सिन्हा की रचना प्रकाशित व प्रसारित।
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