अखिल ब्रह्मांड के न्यायाधीश श्री चित्रगुप्त की प्रतिमा भारतीय न्यायालयों में स्थापित हो : अजीत सिन्हा

 अखिल ब्रह्मांड के न्यायाधीश श्री चित्रगुप्त की प्रतिमा भारतीय न्यायालयों में स्थापित हो : अजीत सिन्हा

जनक्रांति कार्यालय रिपोर्ट


लोग त्वरित न्याय की आशा सरकार से करते हैं लेकिन दुःख की बात यह है कि कई मुकदमों के फैसले आने में दस से बीस साल भी लग जाते हैं : अजीत सिन्हा

बोकारो,झारखण्ड ( जनक्रांति हिन्दी न्यूज बुलेटिन कार्यालय 22 जुलाई, 2022) । धार्मिक एवं आध्यात्मिक चिंतक अजीत सिन्हा ने भारतीय न्यायालयों में लंबित मुकदमों की देर से सुनवाई पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके पीछे आध्यात्मिक रूप से भारतीय न्यायालयों में विदेशी समाजसेविका डिकी प्रतिमा होना भी बताया है जो अप्रत्यक्ष रूप से न्यायपालिका की कार्रवाईयों को प्रभावित कर रही है जिससे मुकदमों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है और देर से फैसले आने से जनता - जनार्दन में असंतोष आना स्वाभाविक ही है और लोग त्वरित न्याय की आशा सरकार से करते हैं लेकिन दुःख की बात यह है कि कई मुकदमों के फैसले आने में दस से बीस साल भी लग जाते हैं।


जिस तरह से घर में सुख-शांति हेतु लोग दिशा निर्धारण पर ध्यान देते हैं और घर में किन - किन चीजों का होना जरूरी है ठीक उसी तरह से न्यायपालिका भी न्याय की घर होती है और उस घर में विदेशी समाजसेविका डिकी का स्थान वास्तु दोष को दर्शाता है जिससे देर से सुनवाई और देर से फैसले आती है जो कानून की लचर व्यवस्था को प्रदर्शित करती है इसलिये सरकार को चाहिये कि भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रतीक त्रिदेवों की केंद्रीय शक्ति श्री चित्रगुप्त को डिकी के स्थान पर स्थान देकर वास्तु दोष को दूर कर सकते हैं जिससे भारतीय न्यायायिक प्रक्रिया में अवश्य ही सुधार देखने को मिलेगी और ऐसा कर सरकार अनुभव प्राप्त कर सकती है।


विदित हो श्री चित्रगुप्त ब्रह्मा, विष्णु और महेश की केंद्रीय शक्ति हैं और अखिल ब्रह्मांड के कर्मों के फल की गणना इनके यमों के अंतर्गत हैं और ये पृथ्वी के प्राणियों सहित 84 लाख योनियों के भाग्य के लेखक हैं और इनके अंर्तगत देव, दानव, ऋषि - संत, गन्धर्व इत्यादि सकल ब्रह्मांड के जीव-जंतु, पेड़ - पौधे सभी आते हैं और कर्मों के अनुसार सभी को दंड और पारितोषिक भी देते हैं जिसमें त्रिदेव की इच्छा समाहित होती है कहने का तात्पर्य यह है कि श्री चित्रगुप्त अखिल ब्रह्मांड के न्यायाधीश भी हैं और अखिल ब्रह्मांड के न्यायाधीश को भारतीय न्यायालयों में स्थान नहीं मिलना, न्याय की कमजोर व्यवस्था को दर्शाती है इसलिये यदि सरकार न्याय की प्रक्रिया में सुधार चाहती है और त्वरित न्याय की व्यवस्था करना चाहती है तो श्री चित्रगुप्त को विदेशी समाज सेविका डिकी के स्थान पर उन्हें स्थान देनी चाहिए क्योंकि ये धर्म के प्रतीक भी हैं और इन्हीं पर अखिल ब्रह्मांड की धर्म भी निर्भर है और साथ में ये भारतीय संस्कृति के प्रतीक भी हैं।


श्री चित्रगुप्त के संबंध में यदि सरकार या लोगों को जाननी हो तो वे वेद - वेदांत और पुराणों का अध्ययन कर इनकी शक्ति को जान सकते हैं जो सृजक, पालक, संहारक के साथ प्रलयंकर भी हैं कहने के तात्पर्य यह है कि श्री चित्रगुप्त ब्रह्मा, विष्णु और महेश के वैसे मैनेजर हैं जिन पर अखिल ब्रह्मांड की व्यवस्था निर्भर है फिर भारत की न्यायपालिका में इनका स्थान क्यों नहीं है? ये लोंगो सहित सरकार के लिए मनन की विषय है और फैसले लेकर उन्हें न्यायपालिका में उचित स्थान देने की जरूरत है और इसके लिए मैं भारत के महामहिम राष्ट्रपति के साथ भारत के प्रधानमंत्री से मांग करता हूं कि न्यायपालिका में डिकी के स्थान पर श्री चित्रगुप्त को स्थान दी जाये जो कि केवल भारत के कायस्थ समाज के लोंगो की मांग है अपितु सम्पूर्ण सनातन धर्म के लोंगो की मांग के रूप में समझी जाये। उपरोक्त जानकारी वाट्सएप माध्यम से समाजसेवी चिंतक अजीत सिन्हा द्वारा दिया गया।


जय श्री चित्रगुप्त जय सनातन
जनक्रांति प्रधान कार्यालय से प्रकाशक/सम्पादक राजेश कुमार वर्मा द्वारा कार्यालय रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित।

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